भारत के साथ ,दुनिया भी चले योग की ओर

 21वी सदी में जहाँ हमारी जीवन शैली पूर्णतः गैज़ेट और मशीनों पर निर्भर करता है ।हमारे जीवन में बनावटी रसायनों का प्रयोग ने अपना डेरा डाल दिया है, जो धीरे-धीरे निश्चित रूप से ही शरीर एवं व्यक्तित्व पर घातक प्रभाव डालता है ।योग,और योगासनो  का रोजाना अभ्यास हमें पुनः अपना प्राकृतिक स्वास्थ्य और सौंदर्य प्रदान कर सकता ।आजकल युवा पीढ़ी अपने जीवन को गैजेट  का आदी बनाये जा रहे हैं ।ऐसे लोगो को जीवन का अर्थ समझाने के लिए योग और आसनों का अभ्यास ही एक उचित मार्गदर्शन है ।आसनों के नियमित अभ्यास से शारीर स्वस्थ रहता है,दृढ़ता और एकाग्रता की शक्ति विकसित होता है ।व्यक्ति के व्यवहार में आत्मविश्वास आता है, और दूसरों को भी प्रेरणा देता है तथा योगाभ्यास से अस्वस्थ शरीर को सक्रिय रूप से कार्य करने योग बना सकते है ।




योगासन से शरीर लोचदार तथा परिवर्तनशील वातावरण के अनुकूल बनाया जाता है ।रोग-पीड़ित अंगों को निरोग कर,पुनर्जवित कर सामान्य कार्य करने योग बना सकते है ।पाचन क्रिया तीव्र गति से काम करने के लिए तैयार हो जाता है ।परानुकंपी तंत्रिका प्रणालीयो में संतुलन आता है ।पातंजलि  की रचना ग्रंथ में 'योगसूत्र' की परिभाषा दी गई है-स्थिरं सुखं आसनम्  : अर्थात आसन शरीर की वह स्थिति है जिसमें आप अपने शरीर और मन को शांत, स्थिर एवं सुख से रख सके।

मनुष्य आराम और इन्द्रिय सुख के अनेक प्रकार की अराममय बनाने वाले असंख्य साधन को अपनाकर भी सेहतमंद नहीं हो सकता ।परम्परा एवं धार्मिक पुस्तकों के अनुसार आसनों  सहित योग विद्या की खोज शिव जी ने की ।उन्होंने अपनी प्रथम शिष्या पार्वती को योगासन की शिक्षा दी । उन्होंने ही सभी आसनों की रचना की नटराज आसन उनका ही प्रतीक है। करोना महामारीके कारण लोगों में योग के प्रतिबहुत सजग किया है आज योग सारे संसार में फैल चुका है ।इसका ज्ञान हर किसी की ज़िंदगी में एक सकारात्मक सोच ला रहा है ।आज डाक्टर और हेल्थकेयर सेक्टर भी  योग की सलाह देते हैं ।आसनों का अभ्यास स्वस्थ-लाभ एवं उपचार के लिए भी मददगार है।मांस पेशियों में साधारण खिंचाव, आंतरिक अंगों की मालिश एवं सम्पूर्ण स्नायुओ में सुव्यवस्था आने से स्वास्थ्य में अद्भुत सुधार होता है ।असाध्य रोगों से छुटकारा योगाभ्यास के सही नियम और अभ्यास से किया जा सकता है ।

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