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Showing posts from June, 2021

भारत के साथ ,दुनिया भी चले योग की ओर

 21वी सदी में जहाँ हमारी जीवन शैली पूर्णतः गैज़ेट और मशीनों पर निर्भर करता है ।हमारे जीवन में बनावटी रसायनों का प्रयोग ने अपना डेरा डाल दिया है, जो धीरे-धीरे निश्चित रूप से ही शरीर एवं व्यक्तित्व पर घातक प्रभाव डालता है ।योग,और योगासनो  का रोजाना अभ्यास हमें पुनः अपना प्राकृतिक स्वास्थ्य और सौंदर्य प्रदान कर सकता ।आजकल युवा पीढ़ी अपने जीवन को गैजेट  का आदी बनाये जा रहे हैं ।ऐसे लोगो को जीवन का अर्थ समझाने के लिए योग और आसनों का अभ्यास ही एक उचित मार्गदर्शन है ।आसनों के नियमित अभ्यास से शारीर स्वस्थ रहता है,दृढ़ता और एकाग्रता की शक्ति विकसित होता है ।व्यक्ति के व्यवहार में आत्मविश्वास आता है, और दूसरों को भी प्रेरणा देता है तथा योगाभ्यास से अस्वस्थ शरीर को सक्रिय रूप से कार्य करने योग बना सकते है । योगासन से शरीर लोचदार तथा परिवर्तनशील वातावरण के अनुकूल बनाया जाता है ।रोग-पीड़ित अंगों को निरोग कर,पुनर्जवित कर सामान्य कार्य करने योग बना सकते है ।पाचन क्रिया तीव्र गति से काम करने के लिए तैयार हो जाता है ।परानुकंपी तंत्रिका प्रणालीयो में संतुलन आता है ।पातंजलि  की रचना ग्रंथ में 'योगसू

योग निद्रा mind relaxation

 योगनिद्रा क्या है और इसके अभ्यास कैसे करें? योगनिद्रा के अभ्यास से आपके व्यक्तित्व का नवीनीकरण तथा ऊर्जा का निर्माण होता है ।इसके अभ्यास से शारीरिक केन्द्रों की स्थिति अन्तर मुखी हो जाती है ।यह निद्रा और जागृति के मध्य की स्थति है ।यह आत्मनिरीक्षण की कला है ।योग निद्रा की स्थति में जब हमारा मन निष्क्रिय हो जाता है, उस समय हमारे द्वारा लिया गया संकल्प बहुत ही प्रभावकारी हो जाता है ।उदाहरणार्थ: ,मै संकल्प लेता हूँ कि मै ध्रूमपान नहीं करूंगा  यह एक संकल्प लिया गया ।यदि आप इस संकल्प को नित्य अभ्यास करते हुए दुहराये तो यह अवश्य पूरा होगा ,इस तरह से आप योग निद्रा के अभ्यास से अपनी आदतें बदल सकते है और अनेक प्रकार के मानसिक रोगों से छुटकारा पा सकते है  योगनिद्रा के अभ्यास के समय दिये जाने वाले निदेशो को सावधानी के साथ सुनते हुए अनुसरण करें ।अभ्यास करने तक आपको सजग रहना चाहिए । योग निद्रा कैसे करें ?                योगनिद्रा का अभ्यास शवासन में करें । सिर समतल फर्श पर एक लाइन में हो।हाथ बगल के पास, हथेलिया ऊपर की ओर खुली हुई हो।स्थिरता के साथ समस्त शारीरिक हलचल बंद कर दे। अभ्यास की पूरी अवधि

नियमित प्राणायाम के फायदे

  प्राणायाम वह प्रकियाओ की शृंखला है जिसका उद्देश्य शरीर की प्राण शक्ति को उत्प्रेरित  करने,बढ़ाने तथा उसे विशेष रूप से संचारित करना।प्राणायाम का उददेश्य सम्पूर्ण शरीर में प्रवाहित ' प्राण' को नियंत्रित करनाभी है  प्राणायाम के अभ्यास से आपके जीवन में आश्चर्य जनक परिवर्तन आ जायेगा ।सर्दी- जुकाम जैसी छोटी बीमारी के साथ और भी कई प्रकार के बीमारी से छुटकारा मिल सकता है परन्तु ,अच्छे परिणाम के लिए इसे नियमित रूप से अभ्यास करेगें ।आँख की रोशनी बढेगी,आप में अनंत जीवन शक्ति का विकास होगा तथा आप को जल्दी थकान का अनुभव नहीं होगा ।आपकी चिंतन शक्ति-विकसित होगी । चिंताओ और तनावो का प्रभाव आप के ऊपर नहीं होगा आप के जीवन में शांतिपूर्ण प्रवृत्ति का विकास होगा तथा आप के सोचने की नजरिया बदलने लगे गा ।  प्राणायाम के अभ्यास किसी अच्छे प्रशिक्षित निदेशक की उपस्थिति में ही करने चाहिए । अतः तनाव, चिंता  तथा  क्रोध  को दूर करने के लिए प्राणायाम बहुत उपयोगी है ।  प्राणायाम के अभ्यास  1 नाड़ी  शोधन प्राणायाम 2 शीतल प्राणायाम 3 कपालभाति प्राणायाम  4  शीतकारी प्राणायाम ,के  अभ्यास इत्यादि । हरि ऊम तत्सत

योगाभ्यास पवनमुक्त के फायदे

आइये आज हम आपको पवनमुक्तसन के कुछ ऐसे अभ्यासों को बारें में बतादे जो आपके वात रोग को कम करने में मदद करता है ।योगाभ्यास शरीर से वायु और अम्ल निकालने में सहायक होता है । लम्बे विश्राम के बाद मांस पेशियों को नये सिरे से काम करनेकेलिए इन अभ्यासों को करें । अभ्यास- 1: पैरों की अंगुलियां मोड़ना  अपने पैरों को शरीर की सीध में सामने फैला कर बैठ जाइये । अपने हाथों के सहारे थोड़ा पीछे की ओर झुक जाइये । हाथ सीधे रखिये, कोहनिया सीधे रहे । पंजों को कड़ा रखते हुए अंगुलियों के प्रति सजग रहिये । इस प्रकिया को दस बार दोहराते हुए दुसरे अभ्यासों को करें  अभ्यास- 2: टखने  मोड़ ना  अभ्यास एक की स्थति में बैठ जाए । टखनो को जोड़ो से झुकते हुए दोनों पंजों को जितना संभव हो सके, उतना आगे और पीछे मोड़ ये । इस अभ्यास को दस बार दोहराते हुए दुसरे अभ्यासों को करें ।