योग निद्रा mind relaxation
योगनिद्रा क्या है और इसके अभ्यास कैसे करें?
योगनिद्रा के अभ्यास से आपके व्यक्तित्व का नवीनीकरण तथा ऊर्जा का निर्माण होता है ।इसके अभ्यास से शारीरिक केन्द्रों की स्थिति अन्तर मुखी हो जाती है ।यह निद्रा और जागृति के मध्य की स्थति है ।यह आत्मनिरीक्षण की कला है ।योग निद्रा की स्थति में जब हमारा मन निष्क्रिय हो जाता है, उस समय हमारे द्वारा लिया गया संकल्प बहुत ही प्रभावकारी हो जाता है ।उदाहरणार्थ: ,मै संकल्प लेता हूँ कि मै ध्रूमपान नहीं करूंगा यह एक संकल्प लिया गया ।यदि आप इस संकल्प को नित्य अभ्यास करते हुए दुहराये तो यह अवश्य पूरा होगा ,इस तरह से आप योग निद्रा के अभ्यास से अपनी आदतें बदल सकते है और अनेक प्रकार के मानसिक रोगों से छुटकारा पा सकते है
योगनिद्रा के अभ्यास के समय दिये जाने वाले निदेशो को सावधानी के साथ सुनते हुए अनुसरण करें ।अभ्यास करने तक आपको सजग रहना चाहिए ।
योग निद्रा कैसे करें ?
योगनिद्रा का अभ्यास शवासन में करें । सिर समतल फर्श पर एक लाइन में हो।हाथ बगल के पास, हथेलिया ऊपर की ओर खुली हुई हो।स्थिरता के साथ समस्त शारीरिक हलचल बंद कर दे। अभ्यास की पूरी अवधि में आखों को बंद रखना है ।भारीपन,हल्का पन,गरमी, सर्दी, कष्ट, आनंद की अनुभूतियो के प्रति बहुत सजग रहना है ।
अभ्यास के अंत में संकल्प दुहराते हुए धीरे-धीरे सामान्य चेतना में वापस आया जाता है ।
योग निद्रा करने की विधि:
शवासन में लेट जाएं ।समस्त शारीरिक हल-चल बंद कर दे।अपने आप से एक संकल्प करें उनको तीन बार दोहराये, विराम अब शरीर को ढीला छोड़ दीजिए परन्तु सजग रहे। आपका शरीर, मन, इन्द्रियां, भावनाओं, बुद्धि, और व्यक्तित्व आप का सम्पूर्ण अस्तित्व-सभी को पूर्ण रूप से शिथिल रहना चाहिए ।अगले निर्देश ओ को पालन करने के लिए तैयार रहें ।पूरे शरीर पर चित को एकाग्र करें ।इसी तरह उन सभी बिन्दुओं पर अपनी चेतना घुमायें जहां तक आपका शरीर फर्श को छू रहे हो।
दाएँ एड़ी ,बाएँ एड़ी,दाहिने पैर की पिंडली,बांयी पैर की पिंडलियों,दाहिना नितम्ब, बांयी नितम्ब, दाहिना स्कंध, बांयी स्कंध, दाहिना हाँथ, बांयी हाँथ, दाहिना कोहनी,बायाँ कोहनी, सिर का पिछला भाग,सिर का अगला भाग, अब केवल शरीर के उन अंगों पर मन को ले जाएं जो जमीन को स्पर्श कर रही है ।अंगों और फर्श के बीच स्पर्श-बिन्दुओं को के प्रति पूर्ण रूप से सजगता बनाये रखें ।अभ्यास जारी रखे,यह गुरुत्व रेखा है अब अपने शरीर के उन बिन्दुओं को स्पष्टता से अनुभव करे जहां-जहाँ दोनों पलकें मिलती हैं ।अब अपनी चेतना को पलकों से हटाकर पुनः ओठों के स्पर्श-बिन्दुओं पर जागरूकता बनाये रखें ।अब अपने श्वास का ख्याल करें और मानसिक नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास करे ।इस अभ्यास को 2 मिनट तक करें । फिर अपने संकल्प को दुहराये ।अब अपने शरीर का मानस दर्शन करें ।कुछ समय अपने आपको देखें आखों को खोलते हुए बांयी करवट ले कर बैठ जाइये ।
हरि ऊम तत्सत 🙏
Comments
Post a Comment